दाँत नहीं है बूढ़े हो गये हैं। अरे दाँत लगवा लो न, ठीक-ठीक रोटी वोटी खा सकोगे। अरे नहीं वो मरे आदमी का दाँत लगा देते हैं मुझे नहीं लगवाना। अरे मरे आदमी का दाँत नहीं है वो। वो तो सामान सब मिला-मिलू के बनाते हैं दाँत । अरे नहीं, हमको बेवकूफ बनाते हो। ये जो मरीज मर जाते हैं, उनके दाँत उखाड़ लेते होंगे और उन्हीं को फिर लगा देते होंगे। ऐसे ऐसे भोले आज भी हैं। ऐसे ही दस-दस साल से जिन्दा हैं और ऐसे ही रोटी खा रहे हैं वो। अरे हमारी सगी माताजी, बिना दाँत बनवाये सारे जीवन १०५ साल की उमर तक, सब चीज खाती थीं, बड़े आराम से। उनके मसूड़े दाँत का काम करते थे। अभ्यास कर ले मनुष्य, तो सब हो सकता है।