एक बार आगरे में हम लेक्चर दे रहे थे तो सौ लड़के आगे-आगे आकर बैठें चार साल, पाँच साल, छः साल के और पूरे समय बैठे रहें। दो-दो घण्टे हम बोलते थे, उस जमाने में। तो एक दिन वो लड़के आये, हमारे पास। तो हमने कहा कि तुम लोग कहाँ रहते हो? तो उन्होंने कहा कि हम यहाँ यहाँ रहते हैं। तुम रोज आते हो, हमारा लेक्चर सुनने। कहें कि हाँ। हमने कहा कि कुछ समझ में आता है ? कहा कि नहीं। तो फिर क्यों बैठे रहते हो ? हम रोज गिनते हैं कि रसगुल्ला कितने बार कहा आपने और आपका मुस्कराना अच्छा लगता है वो देखते रहते हैं। हाँ। तो बीच की अवस्था जो होती है जिसमें समझने का सेन्स हो क्योंकि और आगे बढ़ेगा अगर उसकी उमर वाला, तो संसार में आसक्त हो जायेगा वो, वो लड़का लड़की कोई हो। फिर उससे निकलना बड़ा मुश्किल है, बुढ़ापे में निकलेगा भी, तो सब चौपट करके। उतनी ही मेहनत पड़ेगी।