भीतर की इच्छाएँ कैसे बाहरी धारणाओं को आकार देते: रिक्शा सवारी की घटना

भीतर की इच्छाएँ कैसे बाहरी धारणाओं को आकार देते: रिक्शा सवारी की घटना

एक बार इलाहाबाद में, हम छोटे थे हमारी एक बड़ी बहन थी वो साथ जा रहे थे रिक्शे पर, हम दोनों, पीछे से दो लड़के आये, उन्होंने कहा कि जोड़ी बड़ी बढ़िया है। उनके दिमाग में यही निकला। तो अलग-अलग अन्दर भावना जो हमारी है, भगवान् वो नोट करते हैं, क्रियायें नोट नहीं करते।

Source: Main kaun mera kaun 2 - 665

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