संसार के सुख का स्वरूप
- कल्याण का मार्ग
- वेद में कथा है उद्दालक मुनी थे उनके लड़के थे नचिकेता, उन्होंने यमराज से कहा हमको आनंद प्राप्त करने का कोई मार्ग बताओ, तो उन्होंने कहा स्वर्ग में बड़ा आनंद है तो नचिकेता ने बड़े जोर से कहा उस स्वर्ग की बात आप करते हैं जहाँ ४ दिन बाद हमको निकाल दिया जायेगा और जब तक हम रहेंगे तब तक भी काम क्रोध लोभ, जब देख लिया यमराज ने ये बड़ा पक्का है तो उन्होंने कहा अच्छा अच्छा हम परीक्षा ले रहे थे, देखो १ श्रेय मार्ग होता है १ प्रेय मार्ग होता है जो श्रेय मार्ग को अपनाता है उसका कल्याण हो जाता है जो प्रेय को अपनाता है वो ८४ लाख में घुमाता रेहता है, जो संसार के सुख भोग के लिए माया की ओर जाता है वो प्रेय मार्ग जो भगवान में सुख मानकर उनकी ओर जाता है वो श्रेय मार्ग और २ में १ साइड में जाना पड़ेगा हमको क्योंकि जोई भी जीव १ क्षण को अकर्मा नहीं रह सकता
- अनादिकाल से अब तक मिलन की बात ही सोची और किया
- १ व्यक्ति १ वस्तु को पाना चाहता है किसलिए ? मिलन के लिए, १ व्यक्ति उस वस्तु को छोड़ना चाहता है क्यों ? मिलन के लिए, क्या मिलन ? आनंद हैपिलस सुख और कुछ नहीं जानते आप केवल उसी का मिलन, बाप से मिल जाए, माँ से मिल जाए, बेटे से मिल जाए, पति से मिल जाए, बीवी से मिल जाए, बच्चे से मिल जाए, नाती पोते कहीं मिले वो आनंद का मिलन चाहते हैं और कुछ नहीं, जो कुछ आप चाहते हैं सब धोखा है ये सब तो care-off है इसके द्वारा आनंद चाहिए, रसगुल्ला के द्वारा आनंद मिले, माँ/बच्चे/बीवी/पति के द्वारा आनंद मिले
- बड़े सुख के पाने पर छोटा सुख शिथिल
- किसी को साइकिल मिली खुश हो रहा है अब पैसा इकट्ठा करके मोटरसाइकिल मिल गई अब साइकिल पर नहीं चलता अब खराब लगता है उसको, अब कार का पैसा भी इकट्ठा हो गया कार ले लिया अब मोटर साइकिल नई अच्छी लगती धक्के लगते हैं उसमें, अब कार भी आ गई तो कार में ये ambassador कार ठीक नहीं है impala होनी चाहिए इसमें धक्के लगते हैं यानी बड़े सुख के पाने पर छोटा सुख शिथिल हो जाता है
- संसार का सबसे बड़ा सुख जाग्रत से स्वप्न में प्रवेश के समय मिलता है
- आप बीवी को चिपटाए हुए लेटें हैं चिपटाने में आनंद मिल रहा है ? हाँ, नींद आ गई, अब बीवी भाड़ में जाए वो आनंद मिल रहा है बीवी को छोड़ दिया, वो आनंद इतना बड़ा है की ये जो बड़े बड़े आनंद कहलाते थे, माँ का प्यार, बीवी का प्यार, पति का प्यार, सब खत्म हो गया, आनंद में सो गए, बेटा बीमार था उसको चिपटा कर माँ सो रही थी, नींद आ गई सो गई, बेटा बीमार हो, मर गया, मर जाओ हम तो सो रहे आराम से, जब आँख खुली हाँ मर गया, अब हाय तौबा मचा रही है, जाग्रत से नींद में जब प्रवेश करते हैं वो क्षण तुरिया अवस्था का आभास है झलक है वो सबसे बड़ा सुख, गहरी नींद नंबर २ का सुख, नंबर ३ स्त्री/पति/माँ/बाप/रसगुल्ला वगैरह
- मायिक सुख नश्वर और दुःख परिणामी है
- धर्म ने स्वर्ग पहुँचा दिया बेवकूफ बना दिया और धर्म समाप्त हो गया, धर्म समाप्त हो गया क्योंकि स्वर्ग आपने भोग लिया अब आप कहें कि मैंने धर्म किया था वो तो भोग लिया आपने अब आप जाइए कूकर सूकर कीट पतंगा योनियों में पटक दिया गया जैसे आपने बैंक में रुपया जमा कर दिया १ लाख अब १० हजार का महीना निकल रहे हैं ठाठ से मटरगश्ती कर रहे हैं १० महीने निकाल लीजिए, १० महीने बाद आप बैंक के पास गए रुपया दीजिये ऐ कुछ ढीला है इसका बाहर निकालो इसको, अरे साहब १ लाख रुपया जमा किया तब तो आपने कहा आइए आइए, अरे तो तुम ले गये १ लाख १० महीने में अब क्या करने आये हो अब तुम्हारा रुपया कँहा, रुपया भी गया और जो १० महीने में रुपया का भोग किया था वो भी गया क्योंकि भोग किया हुआ सुख बाद में काम नहीं देता वो भूल जाता है, तो धर्म भी गया धर्म का फल स्वर्ग भी गया देखो धोखा दे दिया इस धर्म ने, १ लाख रुपए का जो हमने सुख हमने भोगा वो सब जीरो हो गया, फिर से नया नया सुख भोगे तो भोगे वरना तो सब गया वो, पुण्य खत्म हुआ की स्वर्ग से नीचे गिराए गए कुत्ते गधे बिल्ली की योनियों में
- वर्तमान लाइफ में जीतने आनंद हमको मिले वो छीन जाता है समाप्त हो जाता है, पिछला अनुभव आगे किसी को स्मरण में नहीं रह सकता, अगर पिछला सुख चिंतन करके आगे के क्षण में अनुभव मिल जाया करे तो १ बार रसगुल्ला खा लो हमेशा को छुट्टी, बस सोच लिया करो मन में रसगुल्ला जो मैंने खाया था सन ७६ में वो आनन्द मिल जा और आनंद मिल जाए बस आपको कोई आवश्यकता नहीं लेबर करने की, पैसा खर्च करने की, वो सब भाड़ में गया, लेेकिन आप मुँह से तो बोल देते हैं, अरे साहब क्या बात है उस रसगुल्ले की, उस रसगुल्ले में जो आनन्द मिला था, इस समय मिल रहा है ? नहीं मिल तो नहीं रहा है, फिर क्या बात है, क्या मुँह बना रहे हो, ये आनंद जो थोड़ा बहुत है भी ये इतना नश्वर है की अभी रसगुल्ला खाया ६ घंटे बाद हज़म हो गया फिर रसगुल्ला लाओ, ये आनंद है संसार का
- बेटा हो गया, ढोल बजाओ, ख़ुशी मनाओ, बेवकूफ हो तुम मूर्ख हो तुम रोओगे, ऐन रोयेंगे, अरे बेटा हुआ है हाँ हाँ ये जितनी ख़ुशी मना रहे हो उतना ही रोओगे, उसके पालने में, जब ये मरेगा, बीमार होगा, करैक्टरलेस होगा, जो भी गड़बड़ होगा इसमें, तो जितना अटैचमेंट कर रहे हो न, जितना सुख पा रहे हो, उतना ही दुख पाओगे
- १ वस्तु है २ भिखमँगों को रास्ते में मिली, दोनों ने झपट्टा मारा और दोनों १ दूसरे को खींच रहे हैं मैं लूंगा, मैं लूंगा, मैं लूंगा, ऐसे ही हम लोग कर रहे हैं माँ बाप बेटे स्त्री पति के साथ और बाद में जब किसी को मिल भी जाए सामान और बाजार में बेचने गया तो उसने कहा ये नकली है लो इतनी लड़ाई लड़े, मार खाये और आखिर में नकली माल मिला, आनंद नहीं है यहाँ, ठीक है तुमको १ करोड़ मिल गया ४२० करके, डाका डाल के लेकिन आनंद नहीं मिलेगा
- सुख दुःख अपनी भावना/idea से मिलता है मैटर से नहीं
- १ स्त्री खड़ी है उसको तमाम लोग देख रहे हैं, १ ने देखा प्यार से ये मेरी मम्मी है कितनी अच्छी है, १ ने देखा मेरी बहन है कितनी अच्छी है, १ ने देखा मेरी बीवी है, १ ने देखा मेरी बिटाया है, १ ने देखा उसने कहा ये हमको नहीं मिली ये हमारी शत्रु है, ये सब जो हम लोग अपनी अपनी मन की अलग अलग भावना बना रहे हैं ये हमारा बनाया हुआ संसार मिथ्या है, उसको देख कर १ सुखी हो रहा है १ दुखी हो रहा है अपनी भावना के अनुसार, ये हमारे मन का बनाया हुआ संसार मिथ्या है
- १ चिट्ठी बेटे की आई छाती से लगा लिया माँ ने बेटा IAS में आ गया, खुश हो गई, १ चिट्ठी दामाद की आई उसका एसिडेंट हो गया है वो मार गया है, माँ दुःखी हुई रोने लगी, कागज वही पेन वही इंक वही अक्षर वही, वो सुख दुख मैटर से मिल रहा है उस कागज और पेन और इंक से नहीं मिल रहा है, इसी प्रकार हमारी जो भावना है मूर्ति में उसका फल मिलेगा, मूर्ति में कुछ नहीं रखा
- १ लड़की को १ ने सहेली बनाया, १ ने बेटी बनाया, १ ने बहन बनाया, १ ने बीवी, शादी के बाद जिसने बीवी बनाया उसको वो लड़की मिल गई वो सुखी हो रहा है, जिससे छीनी सहेली माँ/बाप भाई वो दुखी हो रहे हैं, तो उस लड़की में सुख कहाँ है ? ये तो अपने अपने ideas का कमाल है
- १ हीरा है सामने दिखा २ लड़कों को, दौड़े, ये क्या चमक रहा है, १ को मिल गया पहले पहुँच गया, हीरा है हीरा सुख मिला, दूसरे को नहीं मिला, ऐके हीरा तो था, उसको दुःख हुआ अरे क्या बताया इसको मिल गया मुझको नहीं मिला १ लाख का है तीसरा पहुँच गया है क्या है भई ? आप दुखी हैं आप बड़े उछल रहे हैं, आप लोगो में क्या हुआ ? अजी इनको हीरा मिल गया हमको नहीं मिला, अरे तो मिल गया होगा चलो हटो, वो जानत ही नहीं हीरा क्या वस्तु होती है वो हीरा शब्द का अर्थ ही नहीं जानता, न हीरा नाम की वस्तु को उसने कभी देखा है न समझा है तो देखिये १ को हीरे से सुख मिला, १ तो हीरे से दुःख मिला और १ को न सुख मिला न दुख मिला, जिसको सुख मिला वो कहता है हीरा बड़ा दयालु है बड़ा अच्छा उसको देख देख के विभोर हो रहा है हीरा १ पत्थर है और जिसको नहीं मिला वो देख देख दुखी हो रहा है हीरे को, ये हीरा वहाँ चला गया मुझको नहीं मिला उसके हाथ में चला गया, वो उसी हीरे को देख कर दुखी हो रहा है और तीसरा जो नहीं पहचानता नहीं जानता हीरे को वो भी देख रहा है क्या है पथर तो है क्या आप लोग क्यों परेशान हो रहे, क्या बात है बिना वजह, देखिये हीरे में जो हमने भावना बनाई अपनी अपनी उसके कारण सुखी दुखी हुए, किसी वस्तु में हम जो मन से आइडिया बनाते हैं उसके कारण सुखी दुखी होते है वो वस्तु हमको मिल जाए ये कामना बनाया, नहीं मिली दुखी हुए, कमाना न बनाते आराम से बैठे रहते कोई परेशानी नहीं, कोई संसार की वस्तु हो, पुरुष हो, स्त्री हो, सामान हो, ये हमको मिल जाए ये आइडिया बनाया दुःख शरू हो गया और अगर वो आईडिया न बनाता तो आराम से बैठे रहते, संसार हो हमारी बलाए हमको क्या करना है, तो हमने जो भावना बनाया उसी भावना के कारण हम सुखी दुखी होते हैं
- मिठाई सामने रखी है बच्चे के, बूढ़े के, जवान के, सबके लार आ रही है, क्या बढ़िया मिठाई है ? वहीं १ diabetes का मरीज बैठा है वो भी देख रहा है, होगी, क्या करना है अपन को तो खाना नहीं है संसार की ऐसी कोई चीज नहीं है जिसमें सुख हो सबको
- ये ताजमहल दुनिया के ७ अजूबों में १ है लेकिन चले आ रहे हैं बाहर से प्राइम मिनिस्टर, प्रेसिडेंट देखने को, वाह वाह, वंडर वाह, क्या कमाल है, दोबारा गया वही प्राइम मिनिस्टर, प्रेसिडेंट, अब किसी ने चलो ताजमहल देख आये ? अब उसमें सुख नहीं मिल रहा है सुख घटता जाता है फिर समाप्त हो जाता है
- संसार में भ्रम वश अटैचमेंट के कारण सुख मिलता है
- जैसे आपसे निचे कोई है तो वो ‘समझता’ है आप में बड़ा सुख है और जो आप आ गए उस जगह पर तो आप कहते है नहीं हमसे आगे है वहाँ पहुँच गए तो नहीं हमसे आगे है, कभी आपने सोचा की इतनी सीट हम लाँघ आए पैदा होने से लेकर अब तक और कहीं हमको अंतर नहीं मालूम पड़ा तो आगे के लिए तो ‘समझ’ ले सब धोखा है न, हमारा कनफ्यूजन फिर भी नहीं गया मरते मरते वरना संसार से वैराग्य हो जाता काम बन जाता, संसार में कहीं सुख नहीं है इस philosophy को गहराई से ‘समझना’ होगा जब गहराई से बुद्धि में ये बैठ जाए, तो फिर ? तो फिर हमको ये ‘निश्चय’ करना होगा कि सुख यहाँ नहीं है इसलिए दुःख भी नहीं है
- जब १ चपरासी को सब इंस्पेक्टर डाँटता है तो कहता है की चपरासी की नौकरी जब नहीं मिली थी तब तो हम बहुत परेशान थे और जब मिल गई तब ये डाँटता है तो बड़ा कष्ट होता है क्यों देर में आये ? और खुद चाहे जब आवे, अब मैं कह दूँ अगर की तुम क्यों देर में आते हो ? अरे तो पिटाई कर देगा, हाँ जब मैं सब इंस्पेक्टर हो जाऊँगा तब आनंद मिल जाएगा, फिर मैं डाँटूँगा, हो गया १ दिन अब वो इंस्पेक्टर डाँटता है SP डाँटता है DIG डाँटता है अरे बड़ी मुसीबत है १ खोपड़ी पर १ से १ बड़े, अगर मैं सबसे बड़ा हो जाता, कहाँ तक जाओगे ? वहाँ तक जाओ सुप्रीम पॉवर भगवान के पास तक अन्यथा कोई न कोई ऊपर रहेगा और तुम दुःखी रहोगे
- १ सुंदर लड़की है उसको रिवाल्वर लेकर १ आदमी खड़ा है मारने के लिए और १ उस लड़की के आगे खड़े हो गया की मार हमको मार, उसको मारा, ये क्या है ? ऐसा हुआ की वो उसकी बीवी थी सुंदर लड़की, विश्वसुंदरी और उसका और कहीं संबंध मालूम हो गया उसके पति को तो वो गुस्से में मारने जा रहा है वो सुंदरता का कोई सुख नहीं पा रहा है उसको देख करके, जल करके, गुस्से में उसको गोली मारने जा रहा है और जो गोली खाने आया है वो उससे प्यार करता है चोरी चोरी, तो सुंदरता में सुख होता तो दोनों को बराबर मिलता
- १ व्यक्ति कहता है घर में जब सब आ जाते हैं तो बड़ा आनंद आता है और ये जब जाते हैं तो रो लेते हैं, तुम ही ने तो ये बीमारी पाला है, ये जीतने तुमने हमारे माना है ये सब तुमको दुख देंगे, ये अपनी कल्पना का बनाया हुआ सुख है, अब जब सुख मिलने लगा तो हमने दुख को निमंत्रण भेज दिया लिखित, यानी अब दुःख अवश्य मिलेगा हम बच नहीं सकते
- ३ दिन से किसी का खोया हुआ बच्चा मिला, आह पप्पू, चिपटाया अधिक आनंद मिला, दोबारा चिपटाया आनंद कम हो गया, तीसरी बार और कम, चौथी बार जाओ बेटा खेलो, ये क्या नाटक है जी ? पता नहीं क्या है ऐसा होता है
- जैसे आपका कोई प्रिय आया और आपने दरवाजा खोला हाँ आ गए देखिये आँख को सुख मिल रहा है ये थर्ड पर्सन देख रहा है और मन को भी सुख मिल रहा है ये आपका experience इसे कोई नहीं देख रहा है
- रसना पर रसगुल्ला जाता है आनंद मिलता है, हाँ मिलता है जी अनुभव में आता है लेकिन ये आनंद है कैसा पहले रसगुल्ले में अधिक आनंद आया, दूसरे में और कम, तीसरे में और कम, आठवें में आनंद समाप्त, नौवा खिलाया तो उल्टी शुरू हो गई, ये क्या हो गया जी, अगर रसगुल्ले में ४ आने मात्रा का आनंद है तो हर रसगुल्ले में मिलना चाहिए उतना
- किसी को लहसुन प्याज में खुशबू आती है और किसी को ऐसी बंदूबू की अगर कह दो की तरकारी में प्याज पड़ी है उल्टी हो जाए, पड़ी वड़ी नई है, खाली कह दो, कौन सा सामान है जिससे सबको सुख मिलता है ऐसा कोई सामान है विश्व में अगर आप कहें कि साहब सबको अलग अलग वस्तु से आनंद मिलता है तो फिर किसी वस्तु में आनंद नहीं माना जा सकता, आनंद तो उसे कहते हैं जो सबको मिले १ सा
- जिस लड़की के लिए उस लड़के ने दूर से, खिड़की से देख कर के इतना बड़ा सुख पाया था जब ब्याह हो गया वो लड़की घर में आ गई और १०, २० महीना रही तो १ दिन कहता है तुम्हारी इस शकल से नफरत है हमको
- अगर रसगुल्ले में आनंद है तो हमेशा मिलना चाहिए, तुम भूखे हो ? जी हाँ, जाबन भी ठीक है ? जी हाँ, फिर क्या बात है क्यों रसगुल्ला अच्छा नहीं लग रहा ? अजी मेरा बेटा मर गया अभी क्या रसगुल्ले भाएगा, इस समय रसगुल्ले में वो मिठास नहीं आएगी जो मिठास उस समय आई थी जब मेरा बेटा IAS में पास होकर के आया था हमको खबर सुनाया था और हम नाचने लगे थे
- १ शराबी है वो कहता है शराब में 'ही' सुख है अपना बीवी बच्चा घर बार सब दाँव पे लगा रहा है शराब के लिए, वो कभी ये नहीं मानने को तैयार नहीं होगा की शराब पीना बुरी बात है, स्त्री के जेवर भी बिक गए, अरे बिक गए होंगे, स्त्री है काहे के लिए, जेवर होते किस लिए ? आनंद के लिए, १ पंडित जी हैं वो कहते हैं अजी क्या बात करते हो शराब का नाम मत लीजिए, क्यों जी अगर शराब में सुख है तो जो सुख शराबी को मिलता है वो सबको मिलना चाहिए, क्या उसमें सुख है ?
- १ माँ का बेटा है, काणा है कुरूप है खो गया, माँ रो रही है सुंदर बच्चे तमाम जा रहे हैं आगे से, अरे इनको देख न सुंदर बच्चे हैं, अरे क्या बात करते हो वो हमारा बेटा मिले तब सुख मिले और इन सुंदर बच्चों को देख कर सुख नहीं मिल रहा है, जहाँ अटैचमेंट है वहीं प्रियता होती है तो संसार में कहाँ सुख है ? १ को यहाँ से मिल रहा है १ को वहाँ से मिल रहा है, १ को सुख मिल रहा है जिससे, दूसरा उसीसे दुःखी हो रहा है
- क्यों रो रहे हैं इधर पड़ोस में लोग ? वो लड़का १ उसका जवान अभी IAS पास करके आया था मर गया, अच्छा अच्छा राम राम राम राम, कोई दुःख हुआ अंदर ? न, इधर क्या है भई बड़ा ढोल वोल बज रहा है आज बड़े बाजे गाजे के साथ ? लड़का हुआ है हमको बुढ़ापे में बड़ी खुशी मना रहे हैं हम, अच्छा अच्छा ठीक है उधर हो रहा है इधर मर रहा है अपने न्यूट्रल, अपना क्या प्लस हुआ क्या माइनस हुआ, देखो दोनों में अटैचमेंट नही है हमारा उनसे, लेकिन उसके बाद खबर आई तुम्हारा बेटा स्कूल गया था न एक्सीडेंट हो गया है, ऐं, मरा वरा नई है वो चला आ रहा है अपने पैर से जरा सी चोट लग गई थी, एक्सीडेंट शब्द आया बस, कहाँ, क्या, क्या हुआ, कहाँ, तुमने कहाँ देखा मैंने कहाँ देखा मैं निचे देखा, निचे, अरे ठैरीए घबराइए नहीं आ रहा है ऊपर को अभी, अपने पैर से आ रहा है हँ, अच्छा चलो खैरयत, अरे एक्सीडेंट में मर गया, एक्सीडेंट में हाथ पैर टूट गया सभी हो सकता है, देखो जहाँ अटैचमेंट है उसके लिए आप परेशान हुए जहाँ अटैचमेंट नहीं उसकी कामना ही नहीं पैदा होगी तो परेशानी कहाँ से आएगी
- बदबू आ रही बच्चे के मुँह में नाक बह रही है बिना नहाये गन्दा सबेरे से रात भर सो के उठा है अच्छे भले आदमी की बदबू आती है मुँह से, अब माँ उसको अपना सबेरे उठते ही अपना मुह धर देती है उसके मुँह पर और विभोर हो जाती है आप देखते हैं तो आपको घृणा होती है अरे बड़ी खराब माँ है अरे तुम अगर माँ बन जाओ न तो तुम भी ऐसे करोगे
- १ आदमी है वो मर गया, उसकी बीवी को घोर दुख हुआ और बेटे को उससे कम हुआ, दोस्तों को और कम हुआ नौकर को और कम हुआ, पड़ोसी को न दुख हुआ न सुख हुआ, उसका १ कर्जदार था वो खुश हुआ, अगर उस आदमी में स्त्री के बयान के अनुसार इतना दुःख है तो सारे मोहल्ले को मिलना चाहिए, नहीं मिलता, या उस कर्जदार के बयान के अनुसार सुख है तो सबको मिलना चाहिए, फिर उस वस्तु में सुख कहाँ रहा, भ्रम है धोखा है, १ वस्तु से सबको आनंद मिले तब तो हम मान ले की उसमें आनंद है
- लफंगो को जब तक ३ ४ चप्पल १० २० ५० गाली न मिल जाए तब तक वे लोग आपस में मीटिंग करते है अरे यार आज कुछ बात बनी नई, क्यों किसी लड़की को छेड़खानी नहीं किया क्या किया तो लेकिन जिसको किया वो चुपचाप चली गई, आज न कोई चप्पल मिली न कोई गाली गलौज सुनने को मिली यानी उनको लत पड़ गयी है अभ्यास पड़ गया है बिना वोह मिले उनको अच्छा नहीं लगता ऐसे ही जिन लोगों को संसार के ये चप्पल जूते खाने का अभ्यास है उनको खुजाल चल रही है जल्दी चलो संसार में भई ये मनगढ़ में तो ये सब मिलता नहीं है अपने संसार में चले तो वहाँ जरा हं
- रसगुलानंदी को रसगुल्ला में सुख मिलता है, दूसरे को कष्ट पहुँचाने में निकृष्ट व्यक्ति को सुख मिलता है, किसी को दूसरे के विपत्ति से सुख मिलता है
- एक्सपीरियंस कर के तो हजार बार देख चुके है, हाँ, उसी माँ से प्यार हजार बार किया, उसी बाप से, उसी बीवी से, उसी बेटे से, उसी बाप सब से किया, मटेरियल सामानों से भी किया सैकड़ों बार रसगुल्ले खाए, कुछ अनुभव हुआ ? अनुभव तो हुआ जिस समय खाते हैं उस समय आनंद आता है थोड़ा सा जरुर लेकिन वो फिर जब पेट भर जाता है तो फिर उससे दुःख मिलने लगता है और आनंद भी प्रतिक्षण घटता जाता है तो फिर उसमें आनंद कहाँ है कैसे हो सकता है ?
- अरबपतियों से जरा पूछ लो सुख मिला तुमको, अजी क्या पूछे दिख तो रहा है ५० कारे हैं १०० फ्लैट है, अरे ये कार और फ्लैट देखते हो, सुख देखा नहीं जाता सुख देखने की बीमारी ही हमको बर्बाद कर रही है हम लोग सुख देखते हैं सुख भोगा जाता है, अरे उसके भीतर देखो
- कहाँ गया वो जब विवाह के पहले उसकी आँख १ बार देख लेने से वैकुण्ठ मिल रहा था अब क्या हो गया, सोचा नहीं क्यों हुआ, क्या हुआ, कैसे हुआ, अरे सोचो मनुष्य हो बुद्धि रखते हो उसका उपयोग करो
- १ आपका प्रिय है उसको देखा हेल्लो कब आए तुम, सुख मिला, १ को देखा वो अपरिचित था हाँ ठीक है जा रहा है, आप भी सीरियस हो गए जरा और १ को देखा उसने आपका अहित किया था शत्रु है, देख कर के आपने भृत्ति टेड़ी कर ली
- जो आनंद गाय को हरी घाँस में सुख मिलता वही आनंद हमको रसगुल्ला में मिलता है, मायिक सुख सब फीलिंग १ से देखने में वो छोटे बड़े भले ही हो
- ये कुत्ते होते हैं तो वो बहुत भूखे होते हैं तो सुखी हुड्डी कहीं मिल गई पुरानी पड़ी हुई तो उसको मुँह में डालकर और उसी को बार बार मुँह में घूमाते हैं इतना घुमाते हैं की अपने ही मुँह से खून निकलने लगता है तो अपना ही खून सुखी हुड्डी में मिला मिला कर पीते हैं और समझते हैं सुखी हुड्डी से मिल रहा है ऐसे ही हमारा संसार का सुख है
- संसार का सुख ऐसा होता है जैस छोटे बच्चे अंगूठा पीते हैं बहुत से बच्चे पीते हैं और उनको बड़ा सुख मिलता है, माँ परेशान हो जाती है की छुड़वा दें, वो नहीं छोड़ते, तुरंत फिर मुँह में डालते हैं क्यों ? वो समझते हैं की इससे हमको दूध मिल रहा है अरे दूध तो माँ के स्तन में है तुम्हारे अँगूठे में कहाँ से आ जाएगा ? अपनी लार मुँह में मिला मिला कर पीते हैं वो लार तो मीठी होती ही है सबकी, तो वो समझता है दूध जा रहा है अंदर
- १ छोटी पोस्ट वाला बड़ी पोस्ट पर जाने के लिए ऐसे व्याकुल हैं जैसे भगदड़ मच जाती है अगर मालूम पड़ जाए प्रमोशन होने वाला है हमको मिलना चाहिए, हम वहाँ सिफारिश करे, हम वहाँ घूंस दे, जो जो पोस्ट बढ़ती गई उतने ही हम अशांति में पड़ते गए
- इतना ठोकर खाकर बुद्धि का निश्चय नहीं हुआ संसार में सुख नहीं है
- १ लाख तो मिल गया लेकिन आनन्द नहीं मिला, २ लाख में होगा, २ लाख हो गया अभी भी शांति नहीं मिली, ४ लाख में होगा, ४ लाख हो गया अभी भी नहीं मिली, इतना बड़ा प्रपंच है माया का की हम जब अपने को शरीर मान के चलते हैं तो १ क्लास आगे सोचते हैं, संसारी कमाना का कहीं अंत नहीं
- ये संसार चूने का पानी है इसमें मक्खन नहीं है अजी दूध हमने देखा था वो भी सफेद सफेद था और ये चूने का पानी भी सफेद सफेद है इसमें मक्खन क्यों नहीं निकलेगा ? अरे बाबा दूध में मक्खन होता है सफेद पानी में नहीं होता, तुम नहीं समझते न वो सफेद पानी दूध है ये सफेद पानी चूने का पानी है, अजी वाह सब लोग मथ रहे हैं बेवकूफ हैं क्या, सारा संसार भागा जा रहा है संसार की ओर परमानंद प्राप्ति करने के लिए, १ लाख २ लाख १ करोड़ २ करोड़ प्राप्त करने के लिए, ऐ तुलसी सूर मीरा इने गिने महात्मा कहते है वो चूने का पानी है, हे इनका दिमाग खराब है, मेजोरिटी तो सब इधर को है सब इधर जा रहे हैं भाग रहे हैं अपन भी इधर भागो, सोचने का मौका नई, जरा ठहर जाओ सोच लो समझ लो, अजी हमको जल्दी है फालतू बात नहीं करते, तो इस प्रकार यदि कोई व्यक्ति किसी वस्तु में सुख न माने तो अटैचमेंट न हो आसक्ति न हो जब आसक्ति न हो तो उसकी कामना न पैदा हो जब कामना न पैदा हो तो उसकी पूर्ति अपूर्ति का क्वेश्चन न पैदा हो तो लोभ क्रोध आदि आवें ही न आराम से रहे निष्कंटक छुट्टी, क्यों चिंतन करे दिमाग खराब है
- १ सब इंस्पेक्टर से पूछो की क्यों जी DIJ की पोस्ट में कोई कमी है वो कहता है मैं SP हो जाऊँ तो विभोर हो जाऊँ आप DIJ की बात कर रहे हैं और तुम DIJ होकर परेशान हो, इसको कोई एंड नहीं, इंद्र ब्रह्मा का पद चाहता है, वो भी दुखी है अशांत है अतृप्त है अपूर्ण है, इस बीमारी का ये इलाज ही नहीं है, जलती हुई आग में घी पड़ेगी तो दुगनी चौगुनी होगी, कभी समाप्त नहीं हो सकता, लिमिटेड मायिक विषयों से कभी अनलिमिटेड हैप्पीनेस नहीं पा सकते
- ये दोस्त अच्छा है ये सहेली बनाने लायक है बड़ी अच्छी है सहेली, अच्छा अच्छी है जब उसकी कोई गड़बड़ बात आउट हुई, अरे ये तो खराब निकली, वो अच्छी है बस यहाँ वहाँ १० जगह रिहर्सल किया जीवन समाप्त हो गया, जजमेंट ये भी नही दे पाये मरते मरते की ये सब के सब डेंजरस है
- सब इंद्रियों का सुख आप भोग रहे संसार में, अनंत जन्म बीत जाए संसार में आनंद मानते मानते लेकिन मिला नहीं अभी तक, हमारी माँ खराब है औरों की अच्छी होगी, हमारी बीवी खराब है औरों की अच्छी हो, न सबका १ हाल है, ये जो बाहर से लोग बोलते हैं हाउ आर यू ? alright, सब रॉंग है और alright कर रहा है, अभ्यास है सभ्यता/etiquette है, आदत है, श्रेय की ओर कब जाओगे जब प्रेय का ज्ञान हो जाएगा और वैराग्य हो जाएगा, श्रेय(भगवान) का तो अनुभव किया नहीं आपने, प्रेय का अनुभव है
- ये जो मुर्ख मन है इतना बेहया है बार-बार दुत्कार का अनुभव, दुःख का अनुभव, स्वार्थ का नंगा दृश्य, ये देख कर भी और हम निश्चय नहीं कर पाते। थोड़ी देर का तो निश्चय होता जरूर है, थोड़ी देर का। हाँ सब मतलब के हैं, सब मतलबी हैं। लेकिन मतलब वतलब के नहीं है, सब हमारे हैं। फिर आ गये। वरना अगर एक बार निश्चय हो जाय तो बात ही खतम हो जाय फिर। हाँ। अपने भ्रम का निवारण नहीं कर पा रहा है। इसलिये हमको उसकी तह तक जाना होगा कि इन बेचारों का कोई दोष नहीं है। जैसे हम स्वार्थी हैं वैसे ही ये भी हैं। जैसे हम भिखारी हैं ऐसे ही ये भी हैं। न स्त्री की गलती है, न पति की है न बेटे की है, न बाप की है, न पड़ोसी की है। गलती किसी की नहीं है। ये हमारा भ्रम है, उसकी गलती है। हमारी बुद्धि का जो भ्रम है वो सब गड़बड़ कर रहा है। ये सब तो नैचुरल हो रहा है जो कुछ हो रहा है। जब तक जीव को आनन्द नहीं मिलेगा, तब तक वो सारी बुद्धि का तिकड़म लगायेगा। संसार का भी क्योंकि बुद्धि में डिसीजन है कि संसार में सुख मिलेगा। इस निश्चय को बदलना है पहले हमको कि हमारी आत्मा का सुख परमात्मा में है। परमात्मा के नाम में है, उनके रूप में है, उनके गुण में है, उनकी लीला में है, उनके धाम में है, उनके सन्त में है, बस इतने एरिया में ही हमें अपने मन को ले जाना है। संसार का नाम, संसार का रूप, संसार का गुण, संसार का कार्य, संसार का स्थान, संसार का उपासक, ये हमें कुछ नहीं देगा
- आप लोगों ने सुना होगा एक हिन्दू, मुस्लिम धर्म में गया। मोहम्मडन बन गया। तो मौलवी ने कहा कि देखो हमेशा अल्लाह-अल्लाह खुदा-खुदा किया करो, राम-राम, श्याम-श्याम बन्द करो। उसने कहा ठीक है। अब मोहम्मडन बन ही गये हैं अल्लाह-अल्लाह बोला करेंगे। सबेरे जब वह उठा नींद से, हे राम ! ऐसा बोलता हुआ अँगड़ाई लिया उसने। नींद से उठने के बाद उसको याद नहीं रहा कि हम मुसलमान हैं। तो मौलवी ने सुन लिया, उसने कहा कि अरे यह क्या कर रहा है तू ! हे राम ! कह रहा है। उसने कहा मौलवी साहब बयालीस साल से तो राम मेरे हृदय में बैठे हैं, खुदा तो अभी कल ही आये हैं। तो कैसे हटा देंगे उनको। अरे भई, समय लगेगा न। अभ्यास करना पड़ेगा इसके लिए भी काफी दिन। तो जब बयालीस वर्ष के बैठे हुये राम खुदा के रूप में नहीं बदल रहे हैं, टाइम लगेगा, तो अनादिकाल से अब तक जो हमने हृदय में बैठा रखा है- यह संसार हमारा है, तो एक दो दस कृपालु के कहने पर सहसा नहीं मिटेगा। इसके लिये भी बहुत कुछ करना होगा। परिश्रम करना होगा, साधना करनी होगी
- डायबिटीज के मरीज के लिए सब मिठाई वर्जित है, हमने तो रिसर्च अभी तिने चार में किया, रसगुल्ला खाया डायबिटीज बढ़ गया, पेड़ा खाया डायबिटीज बढ़ गया, बर्फी खाया डायबिटीज बढ़ गया और मर गए यही ३ खराब है बाकी मिठाई अच्छी होगी ये सोच के मरा, अरे बेवकूफ अब भी तुझे ज्ञान नहीं हुआ ये सारी मिठाई खतरनाक है इस मर्ज के लिए
- हर १ को बीमारी है भ्रम है की अमुख व्यक्ति वो हमारा पड़ोसी सुखी है हम ही दुखी है, अगर संसार के सब लोग अंतरयामी होते तो १ फायदा तो जरूर होता ये की जो हमको भ्रम रहा करता है अमुख व्यक्ति बड़े आनंद में है उसकी पोस्ट भी बड़ी है उसके पास पैसा भी है उसके बेटा भी है उसके वगैरह वगैरह बहुत सा सामान है, वो बड़े आनंद में होगा, 'होगा' ये सबसे बड़ा भ्रम हमको संसार की ओर आकृष्ट करता है, बाहर का जो नाटक है संसार का इसे देखकर हम ये भूल जाते हैं की उस अवस्था में भी अनंत बार जा चुके हैं रह चुके हैं लेकिन क्योंकि इस समय हम वहाँ तक नहीं पहुँचे हैं इसलिए हम समझते हैं वहाँ आनन्द है
- जब दो लड़के हैं हमको रमेश चाहिए तो हमने १ से पूछा तुम्हारा नाम क्या ? दिनेश, तो फिर ये रमेश होगा बात खत्म, सुख कहाँ है यही 'समझने' में गलती किया, संसार/माया के एरिया में अनंत जन्मों का अनुभव किया आनंद नहीं मिला, तो इसका मतलब भगवान में होगा और इसलिए भी होगा हम उनके अंश हैं
- जरा हम BA हो जायें, MA हो जायें, अरे हो तो गये जी नौकरी नहीं मिल रही है, नौकरी मिल गई ? हाँ अब सुख मिलेगा, अरे क्या हुआ ? वो हमसे आगे वो है रोज डाँटता है हमको हमारा बॉस, १ बीवी आ जाए तो सुख मिल जाएगा, बीवी आ गई ? हाँ, अरे बीवी आ गई ऐसी भयानक बीवी है चण्डी, अब की सुख नहीं मिला, अब की मिलेगा, अब की मिलेगा, अनंत जन्म बित जाए रिहर्सल में, मर गए यही कहते कहते लेकिन ये डिसिशन लेकर नहीं मरे की अब की बार हम आयेंगे तो संसार मेरा है ये नहीं मानेंगे, भगवान मेरा है ये मानेंगे, ये डिसिशन नहीं सबसे बड़ा आश्चर्य है ये
- हिरन होता है हिरन, तो रेगिस्तान में जब बालू के कण उड़ते हैं हवा से तो सूर्य के किरण में वो दूर से लगता है पानी है तो वो हिरन भागता है की वहाँ पानी पीने को मिल जाएगा, वो तो पानी नहीं है वो तो धूलि के कण हैं फिर वहाँ से देखता है अरे इधर है उसी में दौड़ दौड़ कर मर जाता है ऐसे ही हम लोग कर रहे हैं अनादिकाल से १ लाख मिल जाए, १ करोड़ मिल जाए, १ अरब मिल जाए, ये भी मिल जाए, वो भी मिल जाए, सब मिलता भी गया किसी किसी को, मामूली मामूली लेबरों के बच्चे उसी जन्म में अरबपति हो जाते हैं प्राइमिनिस्टर हो जाते हैं हाँ कहाँ थे हम ? हमारे पिता जी क्या करते थे ? और हम आज कहाँ पहुँच गए लेकिन आनंद नहीं मिला
- कोई बहुत गरीब था और लाटरी खुल गई १ करोड़ की करोड़पति हो गया, १० गाड़ियाँ आ गयी ४ कोठियाँ हो गई लेकिन आनंद तो मिला और अशांति बढ़ गई, १ करोड़ में आनंद नहीं है १ अरब में होगा, ये भ्रम, इसी भ्रम ने अनंत जन्म हमारे समाप्त कर दिये, भ्रम नहीं गया, अगर इतनी जेल भोगने के बाद भी भ्रम चला जाता तो भी हम कह देते की चलो कोई बात नहीं, कष्ट हुआ लेकिन फल मिल गया
- जैसे कोई चोर होता है डकैत होता है और वो बड़ी मेहनत करके जाड़ें, गर्मी, बरसात में किसी प्रकार से किसी के यहाँ घर में घुसा और सामान निकाल रहा था और पकड़ गया, तो उसने कहा हे राम, सामान भी नहीं मिला और सजा भी होगी, अगर सामान मिल गया और भाग आया बचकर के, कोई बात नहीं १ लठिया पड़ी थी लेकिन कोई बात नहीं बच आये अरे इतना माल मिला, हमारा भ्रम नहीं गया, उसी संसार में, अभी नहीं मिला अब की बार मिलेगा, नहीं मिला, अब की मिलेगा, ये आदमी खराब है ये अच्छा होगा, ये भी खराब निकला, ये अच्छा होगा, सर्वत्र धोखा
- जितनी कम संसारी कमाना उतनी शांति
- जो हालत १ गरीब की है उससे बत्तर हालत अमिर की है उसके बराबर नहीं कह सकते आप क्योंकि गरीब की कामना छोटी सी होती है मेरे २ कुर्ते हो जाते २ कमीज हो जाती १ कमीज पहनते १ रखे रहते जब कहीं जाते ससुराल वगैरह तो वहाँ पहनते, बस इति सी प्लानिंग है बेचारी की बस और जिसके १० कमीजें है ४० रुपए मीटर कपड़े की, १ कपड़ा मैंने देखा था १ आदमी पहने था आज हमने देखा है उसको, वो कपड़ा कहाँ मिलता है विलायत का है, लग गई बीमारी
- ये देवियाँ क्या करती है ये १ दूसरे को देखा करती है, जो भी स्त्री किसी को मिली, क्या देख रही हो साड़ी, क्यों देख रही हो ? इसलिए की हमको बीमारी पैदा हो हम परेशान हो फिर अपने पति से या किसी से कह कर के इस कपड़े को खरीदना है जहाँ मिले जैसे, ये रोग पाल ले, अच्छे खासे बैठे खाली क्या मुसीबत मोल ले रहे हो, बीमारी है सबको, क्यों दुसरे को देखते हो क्या देखते हो, और फिर देखने के बाद, ये आपने कहाँ से खरीदा है ये आपने कितने का खरीदा है, भयंकर रोग, हूँ
- १ की बीवी नहीं है पति नहीं हैं उसको स्त्री पति के मरने का दुख तो नहीं मिलेगा ये तो पक्का है, जितना बड़ा संसार आपका बढ़ता जा रहा है जहाँ जहाँ मन का अटैचमेंट आप करते जा रहे हैं उसी के वियोग में, उसी के अभाव में आप दुखी होते हैं तो दुख को दावत तो आपने दी
- जब वो नहीं था आपका बेटा आप बिलकुल ठीक थे, अब बेटा हो के मरा, अब आप रो रहे हैं क्योंकि अटैचमेंट हो गया, संसार की प्राप्ति के पहले, संसार के प्राप्त होने पर, संसार के छिन जाने पर, तीनों में कष्ट ही कष्ट हर व्यक्ति दुखी, आप ‘समझते’ है हमें अगर बेटा मिल जाए, बाप मिल जाए प्रतिष्ठा मिल जाए, धन मिल जाए तो सुखी हो जाए यानी हमसे बड़ी लिमिट का मिल जाए सब इसी के चक्कर में
- इंद्रियों के विषय देकर उनको तृप्त करना ये उल्टी दवा है
- आपने पूरा रायपुर देखा है ? नई किसी ने नहीं देखा, जितना यहाँ बैठे हैं क्यों देखा क्यों नहीं, हमने हर गली देखी है अरे गली देखी है पूरा रायपुर नहीं देखा, अच्छा बताओ रायपुर में अमुख मोहल्ले के, अमुख मकान के, अमुख कमरे के, अमुख आलमारी में क्या रखा है ? अजी इतना थोड़े देखा है हमने, तो फिर आपने पूरा कहाँ देखा, रायपुर के १ मोहल्ले को नहीं पूरा देखे हो तुम, तो तुम MP को देखने का क्या दावा करो, पूरे भारत को देखने का क्या दावा करो, पूरे विश्व को देखने का क्या दावा करो, अगर पूरे विश्व को वर्तमान देख भी लो अमेरिका इंग्लैंड सारे देश को, तो तुमने चंद्रालोक देखा है सूर्यलोक देखा है अरे सूर्यलोक तो कोई गया ही नहीं, वहाँ जाके जल जायेगा मर जायेगा कौन देखेगा, तो तुमने कितना कम देखा है इसलिए तुम्हारी देखने की साध बनी हुई है वो बीमारी बनी हुई है, देखने से बीमारी कम नहीं होगी बल्कि और बढ़ेगी
- गाय हो हरी घाँस मिल जाए तो बड़ी विभोर, सुखी घाँस मिल जाए तो भी ठीक, कितने पकवान खा गए आप लोग लेकिन फिर वही बीमारी, जितना मिलता जाता है संसार का विषय उतना ही आप आगे बढ़ते जातें हैं
- आनंद किसी के पास नहीं है सब १ दूसरे के धोखे में पड़े हैं
- जैसे तमाम सारे अंधे इकट्ठे हो जायें और उसमें से १ अंधा बोले अरे भई मैं सूरदास हूँ कोई आँख वाला मुझे रास्ता बता दे, जो चालक अंधा होता है दूसरा वो कहता है हाँ आजा आजा मेरा हाँथ पकड़ ले चला चल, अब दूसरा अंधा जो है वो भी यही करता है, तीसरे अंधे से कहता है ए मेरे आँख है आजा हाँथ पकड़ ले चला चल, ये सब अंधे ही हैं, सब अंधों का बाज़ार है सारा संसार, सब १ दूसरे को धोखा दे रहे हैं, हम तुमको प्रेम देंगे बेटा, प्रियतम, पिताजी, ये शब्दों को बोल बोल करके जो हम लोग १ दूसरे को धोखा दे रहे हैं, ये सबके सब भिखारी है क्या देंगे पहली बात तो देने की भावना किसी मायिक जीव में हो ही नहीं सकती, अगर हो भी जाए तो बिचारा दे क्या ? १ लाख है मेरे पास, लेलो मेम साहब तुमने मुझसे ब्याह किया है तो, अरे बाबा १ लाख नहीं आनंद चाहिए, ये तो हमको भी चाहिए हम तुमसे आशा कर रहे हैं, वो कहती है हम तुमसे आशा कर रहे हैं, दोनों अंधे, दोनों बेवकूफ, १ दूसरे के धोखे में पड़े हुए हैं बेचारे, जिसके पास वस्तु नहीं वो कैसे देगा, अनादिकाल से सब भूखे हैं प्यासे हैं दरिद्री हैं अत्यंत आतुर हैं आनंद के लिए
- माँ के पेट से गिरते ही रोना प्रारंभ होता है बच्चे का भले ही माँ बड़ी खुश हो रही है, बच्चा रोया माँ का मुख कमल खिल गया क्यों ये पक्का प्रमाण बच्चा जीवित है, अगर बच्चा नहीं रोया माँ भयभीत हो जाती है मरा हुआ पैदा हुआ, ये बच्चे का प्रथम रोना सिद्ध करता है वो भिखारी है आनंद चाहता है, उसके पैदा होते समय जो कष्ट हुआ उसको रोकर निकाल रहा है और आनंद की पुकार कर रहा है उस अबोध बालक से माँ आनंद चाहती है और सुनो अंधेर, अब उसके आगे और भाई बहन हुए, बेटा बेटी पोता पोती सबको धोखा होता चला गया इसी प्रकार से, सब १ दूसरे से चाहते हैं और ये नहीं सोच पाते जब मेरे पास नहीं है आनंद शांति हम इसको क्या देंगे
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